Friday, January 18, 2019

परिभाषाये या व्याख्या : संगीत, ध्वनि, नाद


  !! सा मा पा तू सरस्वती भगवती !!

"या कुन्देन्दु तुषार हार धवला |
या शुभ्रा वस्त्रावृता |
या वाणी वर दण्डमण्डित करा |
या श्वेत पद्मासना||
या ब्रह्माच्युत  शंकर प्रभृतिभिर्देव सदा वन्दिता |
सा मा पा तू सरस्वती भगवती नि:शेष जाड्या पहा ||"


शास्त्रीय संगीत के भाषा में संगीत की परिभाषाये कैसे होती है| संगीत किसे कहते हैध्वनि क्या हैनाद किसे कहते है और इनके कितने प्रकार है ? 

परिभाषाये या व्याख्या :-
संगीत: 
किताबो में संगीत की परिभाषा कुछ इस प्रकार की गई है : "गायन, वादन तथा नृत्य  इन तीनो कलाओंके समन्वय को संगीत कहते है" प्राचीन कल में गायन को सबसे अधिक, उसके बाद वादन और अंत में नृत्य इस प्रकार से क्रम के अनुसार इन कलाओं को महत्व दिया जाता था|  परन्तु समय के साथ इसकी परिभाषा भी बदलती गई|

ध्वनि :
ध्वनि संगीत में सबसे महत्वपूर्ण इसलिए है क्यों की संगीत कानो से सुनी जाने वाली कला है और बिना आवाज या ध्वनि के हम संगीत की कल्पना ही नहीं कर सकते ध्वनि के दो प्रकार की होती है ) संगीत के लिए उपयोगी  और ) संगीत के लिए निरुपयोगी

नाद:
उत्पन्न होने वाले आवाज या ध्वनि में से जो ध्वनिया संगीत के लिए उपयोगी है या जिससे संगीत का निर्माण होता है, उन्हें नाद कहा जाता है| नाद के भी दो प्रकार है| आहत नाद और अनाहत नाद| आहत नाद जो की घर्षण से उत्पन्न होता है और अनाहत नाद को सिर्फ ऋषि मुनिया ही सुन सकते थे


उम्मीद करती हु मेरी दी हुई जानकारी आपको सहयता करेगी 


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