!!
सा मा पा तू सरस्वती भगवती !!
वीणाधरे
विपुलमङ्गलदानशीले भक्तार्तिनाशिनि विरिञ्चिहरीशवन्द्ये । कीर्तिप्रदेऽखिलमनोरथदे महार्हे
विद्याप्रदायिनि सरस्वतिनौमि नित्यम् ॥
राग परिचय:
कल्याण ठाट से उत्पन्न यमन राग
बहोत ही प्रसिद्ध रागों में से एक राग है इसे कल्याण राग के नाम से भी जाना जाता
है | मुग़ल शाशन कल में मुसलमानों ने इस यमन अथवा इमन राग कहना शुरू किया| राग में
कोई भी स्वर वर्जित नहीं है इसलिए इसकी जाती संपूर्ण - संपूर्ण कहलाती है| इस राग
में माध्यम तीव्र और बाकि सभी स्वर शुध्द लगते है| यमन राग का वादी स्वर गन्धर्व
(ग) और संवादी स्वर निषाद (नी) है|
श्रृंगार रास प्रधान यह राग को रात्रि के प्रथम प्रहार में गया जाता
है| इस राग का विस्तार करते स्वरों का उलट पलट करने पर भी इस राग का स्वरुप बिगड़ता
नहीं है| यमन राग पूर्वान्वादी राग है| इस राग की जाती संपूर्ण होने पर
भी आरोह में पंचम वर्जित किया जाता है|
आरोह :- ऩि रे ग, म॑ प, नि सां ।
अवरोह:- सां नि ध प, म॑ ग रे सा ।
पकड़- ऩि रे ग रे, प रे, ऩि रे सा ।
ताल:
त्रिताल
सरगम गीत
(स्थाई)
न
ध - प
| म॑ प ग म॑ |
प -
- - | प म॑
ग रे
सा
रे ग रे
| ग म॑ प ध |
प म॑
ग रे | ग रे
सा -
नी
रे ग म॑
| प ध नी सां |
रें सां
नी ध | प म॑
ग म॑
(अंतरा)
ग
म॑ ध सां
| सां सां
सां सां | नी रें
गं रें | सां नी ध प
गं
रें सां नी
| ध प
नी ध | प म॑
ग रे | ग रे
सा -
नी
रे ग म॑
| प ध
नी सां | रें सां नी ध
| प म॑
ग म॑
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