Wednesday, January 23, 2019

रागांग : वादी, संवादी, अनुवादी, विवादी


!! सा मा पा तू सरस्वती भगवती !!






लक्ष्मीर्मेधा धरा पुष्टिर्गौरी तुष्टि: प्रभा धृति: । एताभि: पाहि तनुभिरष्टाभिर्मां सरस्वति ॥





वादी: जिस स्वर का राग में सबसे अधिक मात्रा में उपयोग होता है उसे वादी स्वर कहते है |  जैसे - राग यमन में 'गंधार' प्रयोग अन्य स्वरों के तुलना में अधिक बार किया जाता है इसलिए राग यमन का वादी स्वर 'गंधार' है |

संवादी:  वादी स्वर के बाद जिस स्वर का प्रयोग राग में अधिक मात्रा में होता है उसे संवादी स्वर कहते है |
संवादी स्वर को मंत्री की उपमा दी जाती है | उदा. राग यमन में 'निषाद' संवादी स्वर है |

अनुवादी: वादी और संवादी स्वर के अलावा राग में जो भी अन्य स्वर होते है उसे अनुवादी स्वर कहते है |

उदा : राग यमन

आरोह :- ऩि रे ग, म॑ प, ध नि सां ।

अवरोह:- सां नि ध प, म॑ ग रे सा ।

वादी स्वर- ‘ग’

संवादी स्वर- ‘नि’

अनुवादी स्वर- सा, रे, म॑, प, ध

विवादी: जिस स्वर का प्रयोग करने से राग का स्वरुप बिगड़ जाता है उसे विवदी स्वर कहते है |

उदा: राग यमन में आरोह में पंचम वर्जित है अगर हम राग गाते समय आरोह में पंचम का प्रयोग करेंगे तो इसका स्वरुप बिगड़ जायेगा ||

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