!! सा मा पा तू सरस्वती भगवती !!
"सरस्वती नमस्तुभ्यं, वरदे कामरूपिणी । विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु मे सदा ॥"
चलिए समझते है वर्ज्य स्वर और थाट या मेल क्या है |
वर्ज्य स्वर :
जो स्वर राग में नहीं लिए जाते है उसे वर्ज्य स्वर या वर्जित स्वर कहा जाता है | उदा: राग भूपाली में मध्यम और निषाद वर्जित है तो राग वृंदावनी सारंग में गंधार वर्जित है| उसी प्रकार दुर्गा राग में गंधार और निषाद वर्जित है |
थाट या मेल :
थाट या मेल उस स्वर समूह को कहते है जिससे राग जा जन्म होता है| भारतीय संगीत में दस थाटों का समावेश किया गया है| वो दस थाट इस प्रकार है :
१) बिलावल
२) कल्याण
३) खमाज
४) काफी
५) भैरव
६) मरवा
७) पूर्वी
८) असवारी
९) तोड़ी
१०)भैरवी
हर एक राग का जन्म किसी न किसी थाट से होता है|
उदा: यमन राग की उत्पत्ति कल्याण थाट से हुई है तो भीमपलासी राग का जन्म काफी थाट से हुआ है |
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